नेपाल को अब इस बात से कोई मलाल नहीं रहा कि भारत से उसके सदियों पुराने भावनात्मक, सांस्कृतिक और आर्थिक रिश्ते रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से वह भारत विरोध की हर सीमा पार कर चुका है। स्थिति यह है कि अब तो नेपाल पुलिस सीमा पर भारतीय किसासनों पर गोली चलाने में जरा भी हिचक नहीं करती। बिहार राज्य के किशनगंज के टेढ़ागाछ में एक किसान युवक जितेंद्र सिंह को नेपाली पुलिस ने गोली मारी। अब गोली मारने का मामला गर्मा गया है।
नेपाल पुलिस द्वारा चलाई गई गोली जितेंद्र सिंह के कंधे में लगी है।पूर्णिया के एक निजी अस्पताल में भर्ती है। जितेंद्र सिंह ने कहा कि उनका मवेशी नेपाल सीमा की तरफ चला गया था। वह अपने मवेशी को खोजने के लिए जा रहा था। जहां जितेन्द्र खड़ा था, वहां से नेपाल सीमा 200 मीटर दूर थी। इसके बावजूद नेपाल पुलिस ने उस पर गोली चला दी।
नेपाल पुलिस द्वारा चलाई गई गोली जितेंद्र सिंह के कंधे में लगी है।पूर्णिया के एक निजी अस्पताल में भर्ती है। जितेंद्र सिंह ने कहा कि उनका मवेशी नेपाल सीमा की तरफ चला गया था। वह अपने मवेशी को खोजने के लिए जा रहा था। जहां जितेन्द्र खड़ा था, वहां से नेपाल सीमा 200 मीटर दूर थी। इसके बावजूद नेपाल पुलिस ने उस पर गोली चला दी।जिस समय नेपाल पुलिस ने गोली चलाई उस समय वहां करीब 5 से 6 नेपाली पुलिस जवान मौजूद थे
जिस समय नेपाल पुलिस ने गोली चलाई उस समय वहां करीब 5 से 6 नेपाली पुलिस जवान मौजूद थे। नेपाल की सरकार भूल चुकी है कि उसकी नीति से प्राचीन काल से चली आ रहे सांस्कृतिक रिश्तों और रोटी- बेटी का संबंध पर भी असर पड़ रहा है। नेपाल की अर्थव्यवस्था पूर्ण रूप से भारत पर निर्भर है। भारत में लगभग पचास लाख नेपाली नागरिक काम करते हैं। उसी तरह खाड़ी एवं अन्य देशों में भी काम करते हैं जहां से वे नेपाल में अपने परिवारों को आमदनी का हिस्सा भेजते हैं। यही आमदनी नेपाल की विकास दर का प्रमुख हिस्सा है।