कांग्रेस नेता और पूर्व दर्जा राज्यमंत्री हरीश पनेरू भीमताल विधानसभा की जनता के लिए एक नई आस बन उभरने लगे हैं। यह आस है जनसरोकारी राजनीति की। एक ऐेसे जनप्रतिनिधि की जो जनता के लिए सत्ता से टकराने की कुव्वत रखता हो। पनेरू को क्षेत्र की जनता ‘भीमताल का लाल’ कह पुकारने लगी है। क्षेत्र में तेजी से लोकप्रिय हो रहे पनेरू 2027 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बतौर मैदान में उतरने का मन बना चुके हैं
‘हरीश पनेरू एक ऐसा नाम है जो बहती धारा की तरह जब भी जहां कोई बुलाए वहां चला जाता है और उनकी हर संभव मदद करता है। चाहे गली वाले हो या गांव वाले या फिर कोई भी राहगीर वे हर वक्त हर किसी के लिए हाजिर रहे हैं। किच्छा की आईडिया कॉलोनी में हरीश पनेरु जी जब मेरे पड़ोस में रहते थे तब मैंने स्वयं उनकी कर्मठता देखी है। रोज उनके घर के बाहर गरीबों की भीड़ रहती थी और वह उनके लिए सदैव तत्पर रहते थे। नशा मुक्ति के लिए भी पनेरु जी ने अभियान चलाए। हर गली-मोहल्ला जा-जाकर आम लोगों से मिलते और गरीब लोगांे की समस्याएं सुनते थे। तब तक चुप नहीं बैठते थे जब तक कि उनका समाधान न हो जाए। कम्पनियों के धुएं से परेशान हुए लोगों के लिए दो दिन तक लगातार धरना-प्रदर्शन करते हुए मैंने उन्हें देखा है। कम्पनी में काम करने वाले मजदूरों की तनख्वाह ना मिलने पर उनके लिए लड़ते हुए मैंने उन्हें देखा है। वाकई काबिले तारीफ है पनेरु जी। तभी तो लोगों ने उनका नाम 108 एम्बुलेंस रखा है। उनका यह नाम इसलिए भी रखा गया कि वे आधी रात को भी वहां भी पहुंच जाते हैं जहां उन्हें कोई मदद के लिए बुलाते हैं। किसी भी व्यक्ति की सहायता करने में वह कभी हिचकिताते नहीं। लोगों को न्याय दिलाने के लिए पुलिस-प्रशासन से लड़ जाने वाले ऐसे निडर एवं साहसी नेता की कमी आज हम आईडिया कॉलोनी और किच्छा के लोगों को अखर रही है। हालांकि जिस तरह वे भीमताल वहां की जनता के लिए सड़कों पर उतरकर दिन-रात लड़ाई लड़ रहे हैं, इससे लग रहा है कि अब भीमताल का लाल पहाड़ों पर कमाल करने आ पहुंचा है।’
यह कहना है किच्छा की आईडिया कॉलोनी में रहने वाली एडवोकेट और वरिष्ठ समाज सेविका अनिता पंत का। पिछले डेढ़ दशक से रुद्रपुर से किच्छा रोड पर स्थित आईडिया कॉलोनी में रहकर किच्छा विधानसभा की समस्याओं के लिए जूझते रहे हरीश पनेरु की पड़ोसी अनीता पंत अकेली ऐसी महिला नहीं हैं जो आज क्षेत्र में उनकी कमी महसूस कर रही है, बल्कि ऐसे हजारों लोग हैं जो दिन हो या रात कभी भी हरीश पनेरु के दरवाजे पर दस्तक दे अपनी समस्याओं को बेधड़क उनके सामने रख देते थे। इसके बाद उन समस्याओं को समाधान के मुकाम तक पहुंचाना पनेरु का काम होता था। लेकिन आज वह हरीश पनेरु तराई के राजनेताओं के रूखेपन और पार्टी की किच्छा में उनको टिकट देने की इच्छा को पूरा न कर पाने की वजह से भीमताल विधानसभा में अपना झंडा गाड़ रहे हैं।
वैसे भी देखा जाए तो किच्छा विधानसभा में जहां उनकी पार्टी कांग्रेस के दर्जनों दावेदार थे, वहीं अब भीमताल विधानसभा क्षेत्र में वह एकमात्र कांग्रेस के प्रबल दावेदार हैं जो आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अपनी मजबूत पैरवी भी करते नजर आ रहे हैं। पूर्व में यहां से कांग्रेस के विधायक रहे दान सिंह भंडारी अब भाजपा के नेता हो चुके हैं। इसके अलावा दूसरे दावेदार ब्लॉक प्रमुख हरीश बिष्ट भी कांग्रेस छोड़ भाजपा की शरण में जा चुके हैं। ऐसे में हरीश पनेरु अपने गृह क्षेत्र भीमताल में अपने लोगों के बीच जाकर उनके लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। यात्रियों के लिए खूनी सड़क बन चुकी ‘हेड़ाखान – मिडार सड़क’ को गड्ढा मुक्त कराकर नव निर्माण कराने का मामला हो या फिर शिक्षा के क्षेत्र में खाली पड़े पदों पर अध्यापकों की नियुक्ति कराना हो या पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के गांव के चिकित्सालय में डॉक्टरों की तैनाती कराना हो, पनेरु हर जगह आगे दिखाई दे रहे हैं। पिछले दिनों हुए खनसयू थाने के अंदर उस विवाद ने विकराल रूप धारण कर लिया था जिसमें स्थानीय युवक को पुलिस द्वारा बुरी तरह पीटा गया था। उस युवक का कसूर सिर्फ यह कि उसने फेरी करने वाले बाहरी लोगों से उनकी आईडी पूछ ली थी। इस पर पुलिस कर्मियों ने उसको ऐसी सजा दी कि उसके शरीर पर जगह-जगह मारपीट के नीले निशान पड़ गए थे। उस वक्त न्याय दिलाने के लिए पनेरु को खनसयू से लेकर हल्द्वानी तक कई बार पुलिस के खिलाफ धरना-दर्शन करना पड़ा। उन्हें पुलिस द्वारा नजरबंद तक किया गया लेकिन फिर भी वे पुलिस को चकमा देकर प्रदेश के डीजीपी अभिनव कुमार के दरबार तक अपनी फरियाद लेकर पहुंचने में कामयाब हो गए थे। एक युवक को पुलिसकर्मियों द्वारा प्रताड़ित करने के बाद उनके आंदोलन ने अपना असर दिखाया और इस मामले में आरोपी पुलिस कर्मियों को स्थानांतरित करने के साथ ही उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। इसके साथ ही भीमताल विधानसभा क्षेत्र में पिछले 2 साल की उनकी कई उपलब्धियां सामने आई हैं। विपक्ष का नेता होने के बावजूद पनेरु वहां की कई समस्याओं का समाधान कर इस समय भीमताल के सबसे चर्चित नेताओं के रूप में गिने जाने लगे हैं।
हेड़ाखान मिडार सड़क
यह सड़क हल्द्वानी से रीठा साहिब तक जाती है। सड़क की हालत इतनी खस्ता थी कि यहां से यात्रा करना किसी युद्ध को जीतने के बराबर था। सड़क में गड्ढ़े हैं या गड्ढ़े में सड़क इसका अंदाजा लगाना मुकिश्ल था। यही वजह है कि इस सड़क पर दुर्घटना होती रहती थी। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि सड़क पर हुए हादसों में 4 साल में 54 लोगों की मौत हुई। एक साल पहले की ही घटना है जब पतलोट में डाल कटरिया के पास हुई एक दुर्घटना में 12 लोग मारे गए थे। पतलोट के बााद अर्नवन में इसी तरह की एक गम्भीर घटना घटी जिसमें 9 लोग मारे गए थे। जिसमें तीन बच्चे ऐसे हैं जिनके माता-पिता दोनों की मौत हो हो गई। तब हरीश पनेरू ने जनता से वादा किया कि मृतकों के परिजनों को 4 लाख रुपए दिलाएंगे। लेकिन सरकार ने मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख ही दिए। इसके बाद पनेरू ने दो-दो लाख रुपए दिलाने को अपनी प्रतिष्ठा बना लिया। वे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह और धामी से मिले। तब मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख देने का रास्ता निकाला गया। यह दो-दो लाख प्रधानमंत्री राहत कोष के माध्यम से दिए गए। पनेरू ने इस सड़क को गड्ढ़ा मुक्त और इसका पुनर्निर्माण कराने का संघर्ष शुरू किया। छह बार हल्द्वानी के बुद्ध पार्क में धरना दिया गया। इसके साथ ही अघोरा और मिड़ार में भी पनेरू के नेतृत्व में सड़क के लिए धरना-प्रदर्शन किया गया। यही नहीं बल्कि नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी का सड़क से प्रभावित क्षेत्र में दौरा करा गया। खुद जिलाधिकारी ने जब हालात देखे तो सड़क के दिन फिर आए। फिलहाल सड़क के लिए टेंडर हो गए हैं। जल्द ही सड़क गड्ढ़ा मुक्त हो जाएगी।
शिक्षा के क्षेत्र में
भीमतालल विधानसभा क्षेत्र के दर्जनों गांव के अधिकतर स्कूल शिक्षकविहीन थे जिनमें पतलोट, भीड़ापानी, नाईजल, कनिया, टोली, गोनियारो, हरीशताल, लोभाडलोबा, करोड, लोनडगाझा, हेड़ाखान, कोसिल, कोमना, नरतोला गांवों के विद्यालय सहित खनसम का अटल आदर्श विद्यालय ऐसे स्कूल थे जहां अध्यापकों की तैनाती नहीं हो रही थी। कई स्कूल शिक्षक विहीन थे। ऐसे में हरीश पनेरू ने इस मुद्दे को लेकर धरना -प्रदर्शन किए। यही नहीं बल्कि प्रदेश के शिक्षामंत्री धन सिंह रावत का घेराव भी किया गया। इसका परिणाम यह निकला कि आज उक्त सभी स्कूलों में शिक्षकों के पद भरे जा रहे हैं। इसके चलते अब तक सभी विद्यालयों में करीब 50 प्रतिशत तक शिक्षकों की तैनाती कर दी गई है। बाकी बचे स्कूलों में भी जल्द ही शिक्षकों को तैनात कर दिया जाएगा।
स्वास्थ्य
ओखलकांडा ब्लॉक के सरकारी चिकित्सालयों की स्थिति बद से बदतर है। हालात यह हैं कि यह चिकित्सालय डॉक्टरों की कमी के कारण सिर्फ रेफरल सेंटर बनकर रह गए हैं। जब किसी गम्भीर मरीज को इलाज नहीं मिलता है तो वह रास्ते में ही दम तोड़ देता है। ओखलकांडा के सीएससी से ही अब तक ऐसे दो मरीज उस समय रास्ते में ही दम तोड़ चुके हैं जब उन्हें हल्द्वानी रेफर कर दिया गया था। ब्लॉक क्षेत्र के डालकनिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर तो तैनात हैं लेकिन चिकित्सा व्यवस्था के नाम पर जीरो बटा सन्नाटा है। इस गांव के चिकित्सालय भवन जीर्ण-शीर्ण हालत में है। पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवाीर के गांव पदमपुरी के हॉस्पिटल में कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है जिससे मरीजों का संतोषजनक इलाज हो सके। इसके चलते हरीश पनेरू द्वारा प्रदेश के स्वास्थ्य निदेशक और जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के यहां धरना-प्रदर्शन किए गए। इसका नतीजा यह निकला है कि चिकित्सालयों में कई डॉक्टरों की तैनाती कराई जा चुकी है। जहां स्वास्थ्य व्यवस्थाएं ठीक नहीं हैं उन्हें दुरुस्त कराने का आश्वासन सरकार द्वारा दिया गया है।
टैक्सी फिटनेस
सरकार के आदेश पर हल्द्वानी में प्राइवेट टैक्सी फिटनेस सेंटर खोला गया जहां पहाड़ों पर सवारी आवागमन करने वाली टैक्सियों का फिटनेस देखकर ही उन्हें सवारी ढोने की स्वीकृति दी जाती थी। हल्द्वानी में यह काम एटीएस फिटनेस सेंटर को दिया गया। लेकिन इस निजी फिटनेस सेंटर पर टैक्सी चालकों का आर्थिक शोषण करने के आरोप लगने लगे। बताया गयाा कि एटीएस फिटनेस सेंटर द्वारा की गई मनमानी के चलते टैक्सी चालकों को 15 से लेकर 20 हजार रुपए लेकर फिटनेस के सर्टिफिकेट बांटे गए। इस तरह हजारों रुपए रिश्वत लेकर गाड़ियां सवारी ढोने के लिए पास की जाने लगी। जिसका विरोध हरीश पनेरू द्वारा किया गया। उनके द्वारा निजी फिटनेस सेंटरों के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत करते ही हल्द्वानी से लेकर रुद्रपुर तक आक्रोश फैल गया। इससे एटीएस फिटनेस सेंटर के खिलाफ हल्ला बोल आंदोलन किया गया। जिसमें रुद्रपुर के लालपुर में हेमू यादव नामक टैक्सी ड्राइवर के खिलाफ एटीएस पर हमला करने के आरेप में मुकदमा भी दर्ज किया गया। हालांकि पनेरू द्वारा प्राइवेट फिटनेस सेंटर के खिलाफ किए गए आंदोलन का असर यह हुआ कि यह कार्य प्राइवेट फिटनेस सेंटर से हटाकर अब सरकारी आरटीओ के हवाले कर दिया गया है।
अब यहां महज एक हजार रुपए देकर गाड़ियों का फिटनेस हो रहा है। यही नहीं बल्कि आरटीओ द्वारा टैक्सी चालकों के छत पर लगे करियरों को पनेरू के प्रयासों से फिर से लगाने के आदेश हुए। इस कार्य से टैक्सी चालक आज की तारीख में पनेरू के फैन हो चुके हैं।
लाठीचार्ज पर लगाम
श्रम विभाग द्वारा श्रमिकों को टूल किट बांटी जाती थी। जहां श्रम विभाग द्वारा टूल किट बांटते समय सभी गांवों के श्रमिकों को बुला लिया जाता था। सभी ग्रामीणों के एक साथ आ जाने के चलते भारी भीड़ हो जाती थी। जिसे नियंत्रित करने के लिए पुलिस द्वारा लाठियां भांजी जाती थी। इसका समाधान पनेरू द्वारा निकालते हुए यह व्यवस्था बनाई गई कि सभी गांव वालों को एक साथ नहीं बुलाकर एक दिन में सिर्फ उसे 4 गांवों के लोगों को बुलाया जाएगा। इससे भीड़ नियंत्रित तो हुई ही साथ ही फिर उन पर लाठीचार्ज की नौबत नहीं आई।

